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श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१॥
नवयौवनशोभाढ्यां वन्दे त्रिपुरसुन्दरीम् ॥९॥
Goddess is popularly depicted as sitting about the petals of lotus that is definitely held on the horizontal overall body of Lord Shiva.
संहर्त्री सर्वभासां विलयनसमये स्वात्मनि स्वप्रकाशा
The supremely gorgeous Shodashi is united in the heart from the infinite consciousness of Shiva. She removes darkness and bestows mild.
यत्र श्री-पुर-वासिनी विजयते श्री-सर्व-सौभाग्यदे
The Mantra, On the flip side, is often a sonic representation in the Goddess, encapsulating her essence by means of sacred syllables. Reciting her Mantra is believed to invoke her divine existence and bestow blessings.
ह्रींश्रीर्मैंमन्त्ररूपा हरिहरविनुताऽगस्त्यपत्नीप्रदिष्टा
देवस्नपनं मध्यवेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि
कामेश्यादिभिराज्ञयैव ललिता-देव्याः समुद्भासितं
करोड़ों सूर्य ग्रहण तुल्य फलदायक अर्धोदय योग क्या है ?
The philosophical Proportions of Tripura Sundari prolong outside of her Actual physical attributes. She signifies the transformative power of beauty, which may lead the devotee within the darkness of ignorance to The more info sunshine of knowledge and enlightenment.
इसके अलावा त्रिपुरसुंदरी देवी अपने नाना रूपों में भारत के विभिन्न प्रान्तों में पूजी जाती हैं। वाराणसी में राज-राजेश्वरी मंदिर विद्यमान हैं, जहाँ देवी राज राजेश्वरी(तीनों लोकों की रानी) के रूप में पूजी जाती हैं। कामाक्षी स्वरूप में देवी तमिलनाडु के कांचीपुरम में पूजी जाती हैं। मीनाक्षी स्वरूप में देवी का विशाल भव्य मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में हैं। बंगाल के हुगली जिले में बाँसबेरिया नामक स्थान में देवी हंशेश्वरी षोडशी (षोडशी महाविद्या) नाम से पूजित हैं।
यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी हृदय स्तोत्र संस्कृत में – tripura sundari hriday stotram